लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 9
मेरा बाप मेरा दुश्मन
अब तक के भागौ में आपने पढा़ कि तान्या विशाल भागकर शादी कर लेते है। इसीलिए तान्या के मम्मी पापा आत्महत्या करलेते है। इसके लिए तान्या स्वयं को दोषी मान लेती है और उसे ट्यूमर होजाता है। इस बीमारी के चलते तान्या की मौत होजाती है।
विशाल तान्या की निशानी रमला की देखभाल के लिए दूसरी शादी करने के लिए तैयार होजाता है। वह चाहता है कि किसी तरह रमला की आदत को सुधारना चाहता है। क्यौकि रमला बहुत जिद्दी होगई थी।
विशाल के दोस्त मुकेश ने उसको सारिका से मिलवाने के लिए एक होटल में प्रोग्राम रखा।
समय पर तीनो होटल पहुँच गये। सारिका की उम्र लगभग पैतीस की थी लेकिन वह अभी भी तीस से कम लगती थी।
सारिका नयन नक्शे से बहुत सुन्दर थी ।उसका रंग कुछ सांवला था ।इसीलिए उसके पति ने उससे तलाक ले लिया था। वह अपने पति के साथ चार महींने ही रही थी।
सारिका का पति रात को दारू पीकर आता था फिर उसके साथ अप्राकृतिक सैक्स करता था जब वह मना करती तब वह उसको बुरी तरह प्रताडि़त करता था। वह उसे जलती हुई सिगरेट से उसके शरीर को जलाता था।
इन कारणौ से उसने उससे दूर रहने लगी थी। और अंत में दौनौ ने तलाक लेकर अलग रहना ही उचित समझा ।
सारिका व विशाल आमने सामने बैठे थे। दौनौ तरफ शान्ति थी।
विशाल चुप्पी भंग करते हुए बोला," देखो सारिका मैने व मेरी पहली पत्नी तान्या ने भागकर शादी की थी। हम दौनौ की एक बेटी है रमला जो आपके सामने बैठी है। अब मै केवल इस बेटी की परवरिश के लिए ही शादी करना चाहता हूँ । क्या आप इसकी परवरिश कर सकोगी।"
सारिका बोली," हाँ मै इसको अपनी सगी बेटी से भी ज्यादा प्यार देने की कोशिश करूँगी। "
विशाल बोला " देखो सारिका मै आज सभी बातै साफ कर लेना चाहता हूँ कल को कोई परेशानी न आये। मैरी बेटी थोडी़ जिद्दी है। आप इसके साथ जिद नहीं करोगी। और सौतेला ब्यबहार नहीं करोगी।"
सारिका बोली," मेरे बिषय में आपको सब बता दिया गया होगा। आप मेरे बीते हुए कल के बिषय में कुछ भी पूछना चाहते हो तो पूछ सकते हो। "
विशाल बोला," हाँ मुझे सब बातौ से अवगत करा दिया है ।यदि आप मुझसे कुछ पूछना चाहती हो तो पूछ सकती हो। "
सारिका ने जबाब देते हुए कहा ," मुझे और कुछ नही पूछना है।"
विशाल व सारिका की आपसी सम्मति से शादी कर ली। दौनौ कोर्ट में जाकर कानून पति पत्नी बन गये।इस तरह विशाल रमला के लिए दूसरी मम्मी लेआया।
सारिका ने आते ही रमला की सभी तरह की जिम्मेदारी सम्भाल ली। वह उसको सुबह समय से तैयार करके स्कूल छोड़कर आती थी। और स्कूल से वापिस भी लाती थी।
विशाल को अब सारिका पर विश्वास होगया था कि वह रमला को प्यार दुलार से रखेगी। रमला भी उसकी तरफ आकर्षित होती जारही थी।
सारिका के आने के बाद विशाल के जीवन में पुनः खुशी का दौर आगया था। विशाल तान्या को भूलने की कोशिश करने लगा था।
सारिका विशाल को सभी प्रकार से खुश करने की कोशिश करती थी क्यौकि सारिका को अपने पहले पति को याद करके आज भी शरीर में कपकपी आजाती थी।
पहले पति ने उसे तन व मन दौनौ तरह इतना प्रताडित किया था कि उसको मर्द जाति से ही घृणा सी हौने लगी थी।
उसे वह दिन आज भी याद था जब उसकी सुहागरात थी तब वह बहुत खुश होरही थी कि आज उसकी सुहागरात है। इस समय का सभी लड़कियौ को इन्तजार होता है।
वह अपने पति परमेश्वर के आने का इन्तजार कर रही थी वह दुल्हन बनी सिमटी हुई बैठी थी। सारका नींद की कमजोर थी परन्तु वह आज हिम्मत से नींद को मात देकर बैठी हुई थी।
उसको भय था कि उसका पति उसको सोता हुआ पाकर नाराज न हो जाय इसी लिए वह नींद को मात देकर बैठी थी।
परन्तु जब नींद आती है तब वह कुछ नहीं देखती है। बैसा ही सारिका के साथ हुआ था।सारिका बैठी हुई अपने पति का इन्तजार कर ही थी परन्तु उसका पति अभी तक नहीं आया था।
सारिका की आँखौ मे नींद के झौके आरहे थे उसी समय उसका पति शराब की बोतल हाथ में पकडे हुए अन्दर आया और बोला ," मैडम को आज भी नींद के झौके आरहे है। आज तो अपने पति परमेश्वर का इन्तजार करलेती। "
इतना सुनते ही सारिका बैड से उठकर खडी़ होगयी।
" क्या तेरी माँ ने पति का आदर करना नहीं सिखाया ।न कोई राम राम न पति के पैर छूना। यहीं संस्कार है तेरे मायके के।" वह नशे में लड़खडा़ता हुआ बोला।
सारिका उसके पैर छूने के लिए झुकी ही थी कि उसने सारिका पर अपने पैर का प्रहार किया जिससे वह गिरते हुए बची।
सारिका अब समझ चुकी थी कि उसके पति में कोई संस्कार नही है और उसे उससे अपने सम्मान की आशा भी नहीं करना चाहिए।
सारिका की सुहागरात इस तरह मनाई गयी कि उसे आज तक याद है ऐसी सुहागरात किसी की भी नहीं होनी चाहिए।
उसका पति उस दिन इतना नशे में था कि उसके बाद उसको अपना होश भी नहीं था वही नीचे गिर गया था और पूरा कमरा उल्टियौ से भर दिया था ।
सारिका उस रात कमरे को साफ ही करती रही थी एवं अपने पति परमेश्वर को उठाकर बैड पर पटक कर उसके जूते उतारकर अलग किये थे।
सारिका पूरी रात बैठी अपनी तकदीर पर रोती रही थी। आज उसके दिल के दुःख की कोई पूछनेवाला भी नहीं था।
कहते है अपने दुःख को किसी को बताने से दुःख बटकर कम होजाता है। वह आज अपने इस दर्द को किसे सुनाती।
इस तरह उसकी सुहागरात मनाई गयी थी।
नोट:- कृपया आगे की कहानी अगले भाग 10 में पढ़ने का कष्ट करें। धन्यवाद।
क्रमशः
Gunjan Kamal
14-Jul-2023 12:19 AM
👏👌
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Sushi saxena
12-Jul-2023 10:58 PM
Nice 👍🏼
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Varsha_Upadhyay
12-Jul-2023 08:43 PM
शानदार भाग
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